रामेश्वरम की वो सुबह — जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि (The voice of Ram Ram in the morning-Dr. A.P.J. abdul kalam)
उनके पिता जैनुलाबदीन एक नाव निर्माता और इमाम थे। बेहद धार्मिक, शांत स्वभाव और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति। माँ आशियम्मा एक घरेलू महिला थीं, जिनकी पूजा-पाठ में गहरी आस्था थी और वो कभी किसी को भूखे को खाली पेट नहीं लौटाती थीं।
कलाम के घर में संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन आत्मसम्मान और मूल्यों की भरमार थी।
“माँ भूखी रह जाती थीं पर दूसरों को खाना देती थीं।” – कलाम अक्सर याद करते थे।
कलाम को बचपन में ही मेहनत और आत्मनिर्भरता का महत्व समझा दिया गया था। वो स्कूल से पहले सुबह-सुबह अखबार बाँटते थे ताकि परिवार की आर्थिक मदद कर सकें।
कलाम के घर में संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन आत्मसम्मान और मूल्यों की भरमार थी।
“माँ भूखी रह जाती थीं पर दूसरों को खाना देती थीं।” – कलाम अक्सर याद करते थे।
कलाम को बचपन में ही मेहनत और आत्मनिर्भरता का महत्व समझा दिया गया था। वो स्कूल से पहले सुबह-सुबह अखबार बाँटते थे ताकि परिवार की आर्थिक मदद कर सकें।
बचपन की उड़ान — पढ़ाई, सवाल और सपने
रामेश्वरम की गलियों में खेलता वो बालक अक्सर आकाश की ओर देखता और चिड़ियों की उड़ान को समझने की कोशिश करता। उसका सपना था – उड़ना।
स्कूल के दिनों में कलाम बेहद जिज्ञासु छात्र थे। वो हमेशा कुछ नया जानना चाहते थे और सवालों से शिक्षकों को चौंका देते थे।
उनके एक शिक्षक शिवसुब्रमण्यम अय्यर ने उन्हें पक्षियों की उड़ान का वैज्ञानिक रहस्य समझाया। यही क्षण उनके जीवन की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
“उस दिन मैंने तय किया कि मैं उड़ान के रहस्य को जानूंगा, मैं वैज्ञानिक बनूंगा।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
स्कूल के दिनों में कलाम बेहद जिज्ञासु छात्र थे। वो हमेशा कुछ नया जानना चाहते थे और सवालों से शिक्षकों को चौंका देते थे।
उनके एक शिक्षक शिवसुब्रमण्यम अय्यर ने उन्हें पक्षियों की उड़ान का वैज्ञानिक रहस्य समझाया। यही क्षण उनके जीवन की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
“उस दिन मैंने तय किया कि मैं उड़ान के रहस्य को जानूंगा, मैं वैज्ञानिक बनूंगा।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
शिक्षा की सीढ़ियाँ — Schwartz School से MIT तक
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रारंभिक शिक्षा श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल (Schwartz Higher Secondary School) में हुई। रामनाथपुरम में उन्होंने साइंस में गहरी रुचि दिखाई। फिर उनका दाख़िला सेंट जोसेफ कॉलेज (St. Joseph’s College) तिरुचिरापल्ली में हुआ, जहाँ उन्होंने फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया।
लेकिन असली मोड़ तब आया जब उन्हें मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एडमिशन मिला। यहाँ उन्होंने एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग चुनी और अपने करियर को आकार देना शुरू किया।
MIT में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक विमान डिज़ाइन प्रोजेक्ट पर इतना उत्कृष्ट काम किया कि उनके प्रोफेसर ने कहा:
“डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, अगर तुमने ये प्रोजेक्ट तीन दिन में पूरा नहीं किया, तो तुम्हारी स्कॉलरशिप रद्द कर दी जाएगी।”
“डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, अगर तुमने ये प्रोजेक्ट तीन दिन में पूरा नहीं किया, तो तुम्हारी स्कॉलरशिप रद्द कर दी जाएगी।”
डॉ. कलाम ने दिन-रात मेहनत कर के वह प्रोजेक्ट समय पर पूरा किया।
वैज्ञानिक की शुरुआत — DRDO और ISRO में प्रवेश
स्नातक के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को दो जॉब ऑफर मिले — एक था एयरफोर्स में पायलट बनने का, और दूसरा था DRDO में एयरोनॉटिक्स का।
एयरफोर्स की परीक्षा में वो 9वें स्थान पर आए जबकि 8 पद ही थे। उन्हें निराशा तो हुई, लेकिन उन्होंने कहा:
“जब मैं हारा, तब मैंने सीखा कि हार सीखने का पहला प्रयास (First Attempt In Learning) होती है।”
“जब मैं हारा, तब मैंने सीखा कि हार सीखने का पहला प्रयास (First Attempt In Learning) होती है।”
उन्होंने DRDO में काम शुरू किया। वहाँ उन्होंने एक एयरक्राफ्ट परियोजना पर काम किया, लेकिन उनका असली जुनून था — रॉकेट और मिसाइल।
बाद में उन्हें ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में ट्रांसफर कर दिया गया।
बाद में उन्हें ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में ट्रांसफर कर दिया गया।
भारत के अंतरिक्ष युग की शुरुआत — SLV-III और रोहिणी
ISRO में रहते हुए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भारत के पहले उपग्रह-वाहक रॉकेट SLV-III (Satellite Launch Vehicle-III) के विकास का नेतृत्व किया।
18 जुलाई 1980 को उन्होंने रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया।
"वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे गर्व का क्षण था। भारत अब अंतरिक्ष में अपने दम पर पहुँच चुका था।"
"वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे गर्व का क्षण था। भारत अब अंतरिक्ष में अपने दम पर पहुँच चुका था।"
मिसाइल मैन ऑफ इंडिया — अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल
ISRO में सफलता के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को DRDO में वापस बुलाया गया — इस बार मिशन था Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP) का नेतृत्व।
उन्होंने अग्नि, पृथ्वी, आकाश, नाग और त्रिशूल जैसी मिसाइलों को विकसित किया।
इस काम के लिए उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि मिली।
“मुझे मिसाइल मैन कहा गया, लेकिन मैं उसे विज्ञान का विद्यार्थी मानता हूँ।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
इस काम के लिए उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि मिली।
“मुझे मिसाइल मैन कहा गया, लेकिन मैं उसे विज्ञान का विद्यार्थी मानता हूँ।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
पोखरण परीक्षण – शक्ति का आत्मविश्वास
1998 में भारत ने राजस्थान के रेगिस्तान में पोखरण-II नामक परमाणु परीक्षण किया। इस मिशन में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और डॉ. राजगोपाला चिदंबरम ने मिलकर इस रहस्यमयी कार्य को अंजाम दिया।
यह परीक्षण पूरी तरह से गुप्त था। परीक्षण से पहले भारत पर वैश्विक दबाव था, लेकिन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में DRDO और BARC की टीम ने इसे सफल बनाया।
यह परीक्षण पूरी तरह से गुप्त था। परीक्षण से पहले भारत पर वैश्विक दबाव था, लेकिन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में DRDO और BARC की टीम ने इसे सफल बनाया।
“हमने शांतिपूर्ण उद्देश्य से परीक्षण किया। यह आत्मरक्षा का एक संकेत है, आक्रमण का नहीं।”
इस परीक्षण के बाद भारत विश्व के परमाणु देशों की श्रेणी में आ गया और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विश्व भर में प्रसिद्ध हो गए।
इस परीक्षण के बाद भारत विश्व के परमाणु देशों की श्रेणी में आ गया और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विश्व भर में प्रसिद्ध हो गए।
भारत रत्न और सम्मान
पोखरण परीक्षण और रक्षा अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 1997 में प्रदान किया गया।
इससे पहले उन्हें:1981 में पद्म भूषण
1990 में पद्म विभूषण मिल चुके थे।
भारत रत्न मिलते समय उन्होंने कहा:
“यह सम्मान मेरी टीम का है, मेरे साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों का है।”
इसके अलावा उन्हें दुनियाभर की 40+ यूनिवर्सिटीज़ ने माननीय डॉक्टरेट की उपाधियाँ दीं।
“यह सम्मान मेरी टीम का है, मेरे साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों का है।”
इसके अलावा उन्हें दुनियाभर की 40+ यूनिवर्सिटीज़ ने माननीय डॉक्टरेट की उपाधियाँ दीं।
राष्ट्रपति भवन की सीढ़ियाँ – जनप्रिय राष्ट्रपति
2002 में भारत सरकार ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया। उनका कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था, लेकिन हर पार्टी ने उनका समर्थन किया।
25 जुलाई 2002 को वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एकदम अलग राष्ट्रपति थे: उन्होंने बच्चों और छात्रों से सीधा संवाद किया।
राष्ट्रपति भवन की औपचारिकताओं को सरल बनाया।
रातों में शोध-पत्र और किताबें लिखते रहे।
राष्ट्रपति भवन की औपचारिकताओं को सरल बनाया।
रातों में शोध-पत्र और किताबें लिखते रहे।
उनकी सोच थी: “मैं राष्ट्रपति के रूप में नहीं, देश के शिक्षक के रूप में जाना जाना चाहता हूँ।”
उन्हें लोग प्यार से कहते थे – “जनता का राष्ट्रपति”।
उन्हें लोग प्यार से कहते थे – “जनता का राष्ट्रपति”।
डॉ. कलाम की किताबें – विचारों की विरासत
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक महान लेखक भी थे। उनकी प्रमुख किताबें हैं:
Wings of Fire (आत्मकथा)
उनकी जीवन यात्रा को विस्तार से बताती है।
Ignited Minds भारत के युवाओं को प्रेरित करने वाली पुस्तक।
India 2020 भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का ब्लूप्रिंट।
Turning Points राष्ट्रपति बनने के बाद का अनुभव।
My Journey जीवन की छोटी लेकिन प्रेरणादायक घटनाएँ।
“पढ़ना मेरा पहला प्रेम है, लिखना मेरी आत्मा की भाषा।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
Wings of Fire (आत्मकथा)
उनकी जीवन यात्रा को विस्तार से बताती है।
Ignited Minds भारत के युवाओं को प्रेरित करने वाली पुस्तक।
India 2020 भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का ब्लूप्रिंट।
Turning Points राष्ट्रपति बनने के बाद का अनुभव।
My Journey जीवन की छोटी लेकिन प्रेरणादायक घटनाएँ।
“पढ़ना मेरा पहला प्रेम है, लिखना मेरी आत्मा की भाषा।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
युवाओं के साथ संवाद – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टीचर
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद उन्होंने देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाकर छात्रों से सीधा संवाद शुरू किया।
वे अक्सर कहते थे: “Teacher बनना सबसे बड़ा सम्मान है। शिक्षक समाज की आत्मा का निर्माता होता है।” उन्होंने छात्रों से सवाल पूछने, सपने देखने और उन पर काम करने को कहा। उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि बच्चे उन्हें 'कलाम अंकल' कहने लगे।
विचार और दर्शन – एक वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिकता में भी
गहराई से विश्वास रखते थे। वे कुरान पढ़ते थे, भगवद गीता में रुचि रखते थे और विवेकानंद के विचारों से प्रेरित थे।
उनके प्रमुख विचार: सपना वो नहीं जो नींद में आए, सपना वो है जो नींद ही न आने दे।
असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है। कठिनाइयाँ जीवन का हिस्सा हैं, उनसे डरे नहीं, उनसे लड़ें।
अंतिम दिन – मंच पर ही अलविदा
27 जुलाई 2015, शिलॉंग (मेघालय) में IIM शिलॉंग में लेक्चर देते समय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को कार्डियक अरेस्ट हुआ।
उनके आखिरी शब्द थे: “Funny guy… are you doing good?” (उन्होंने लेक्चर शुरू करते समय कहा था)
5 दिन बाद जब उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया तो हर वर्ग के लोग – बच्चे, नेता, सैनिक, आम जनता – उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। 30 जुलाई 2015 को रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ।
5 दिन बाद जब उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया तो हर वर्ग के लोग – बच्चे, नेता, सैनिक, आम जनता – उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। 30 जुलाई 2015 को रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ।
प्रेरणा के पुंज – क्यों अमर हैं डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम?
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक ऐसा नाम है जो: विज्ञान का प्रतीक है, सादगी का आदर्श है और प्रेरणा का असीम स्रोत है।
उनकी विरासत: युवाओं में आत्म-विश्वास जगाना शिक्षकों को समाज का मार्गदर्शक बनाना
वैज्ञानिक सोच और आत्मनिर्भर भारत का सपना देना आज भी उनकी कही बातें, उनके वीडियो, उनकी किताबें लाखों दिलों में ज्वाला जगा रही हैं।
उनकी विरासत: युवाओं में आत्म-विश्वास जगाना शिक्षकों को समाज का मार्गदर्शक बनाना
वैज्ञानिक सोच और आत्मनिर्भर भारत का सपना देना आज भी उनकी कही बातें, उनके वीडियो, उनकी किताबें लाखों दिलों में ज्वाला जगा रही हैं।
निष्कर्ष – एक जीवन जो कभी समाप्त नहीं होता
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन सिखाता है:
“असंभव कुछ नहीं है, अगर आपके पास सपना है, समर्पण है, और आप पर विश्वास है।”
रामेश्वरम के गरीब घर में जन्मा एक बच्चा… जिसने भारत को परमाणु ताकत बनाया, मिसाइल तकनीक दी, राष्ट्रपति बना, और फिर एक साधारण शिक्षक की तरह मंच पर प्राण त्याग दिए। वे चले गए, लेकिन: हर बच्चा जब वैज्ञानिक बनने का सपना देखता है, हर युवा जब देश के लिए कुछ करने की बात करता है, तो उनके पीछे खड़ा होता है एक ही नाम — डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम।
“असंभव कुछ नहीं है, अगर आपके पास सपना है, समर्पण है, और आप पर विश्वास है।”
रामेश्वरम के गरीब घर में जन्मा एक बच्चा… जिसने भारत को परमाणु ताकत बनाया, मिसाइल तकनीक दी, राष्ट्रपति बना, और फिर एक साधारण शिक्षक की तरह मंच पर प्राण त्याग दिए। वे चले गए, लेकिन: हर बच्चा जब वैज्ञानिक बनने का सपना देखता है, हर युवा जब देश के लिए कुछ करने की बात करता है, तो उनके पीछे खड़ा होता है एक ही नाम — डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम।